Ms. Rashmi Sharma, Journalist.
हमारा लीवर एक फुटबॉल के आकार जितना बड़ा होता है जो हमारे शरीर में पसलियों के निचले हिस्से के दाएं हाँथ की तरफ होता है। लीवर हमारे खून में से हानिकारक केमिकल्स को निकाल कर उसे साफ करता है। यह हमारे शरीर को ऊर्जा देने के लिए जरूरी ग्लूकोज को जमा करके रखता है। और कमज़ोरी पड़ने पर ग्लूकोज देता रहता है। यह हमारे शरीर के कई कार्यों को कण्ट्रोल करता है। इसमें खराबी होने पर शरीर की काम करने की क्षमता बहुत कम हो जाती है। यह पेट के दाएं नीचे की तरफ होता है। लिवर डैमेज का सही समय पर इलाज करना भी ज़रूरी होता है, नही तो यह बहुत बड़ी समस्या बन सकती है। लिवर का ख़राब होने के बड़े कारण धूम्रपान, शराब का सेवन, अधिक खट्टा, ज्यादा नमक का सेवन प्रमुख हैं। आज हम आपको लिवर को स्वस्थ और खराब होने से बचाने के आसान उपाय और देसी आयुर्वेदिक नुस्खे बताने जा रहे हैं जिसकी मदद से लिवर को स्वस्थ और स्ट्रांग बनाया जा सकता है।
लिवर खराब होने के प्रमुख कारण
सबसे पहले लिवर खराब होने के फॅक्ट्स को जानना ज़रूरी है। जिससे समय रहते आपको पता रहे और इलाज सही टाइम पर हो सके।
शरीर में विटामिन बी की कमी होना।
घर की सफाई पर उचित ध्यान न देना।
3. खुली हवा मे गहरी साँसे
4. सेब का सिरका का सेवन
सेब का सिरका, लिवर मे मौजूद विषैले पदार्थो को बाहर निकालने में सहायता करता है। भोजन से पहले सेब के सिरके को पीने से शरीर की चर्बी घटती है। सेब को आप कई तरीके से इस्तेमाल कर सकते है एक गिलास पानी मे एक चमच सेब का सिरका मिलाए। या इस मिश्रण मे एक चमच शहद मिलाए। इस मिश्रण को दिन मे 2 से 3 बार लें।
5. आंवला का सेवन
आवंला विटामिन सी के सबसे बढ़िया स्रोत है और इसका सेवन लिवर की कार्यक्षमता को बनाए रखने में मदद करता है। एक शोध ने साबित किया है कि आवंला में लिवर को सुरक्षित रखने वाले सभी तत्व होते है। लिवर के स्वस्थ्य के लिए आपको दिन मे 4-5 कच्चे आवले खाने चाहिए।
6. मुलेठी का सेवन
लिवर की बीमारियो के इलाज के लिए मुलेठी का इस्तेमाल कई आयुर्वेदिन औषधि में किया जाता है। इसके इस्तेमाल के लिए मुलेठी की जड़ का पाउडर बनाकर इसे उबलते पानी में डालें। फिर ठंडा होने पर छान लें। इस पानी को दिन में एक या दो बार पिए।
7. लीवर को स्वस्थ रखने के लिए खाएं पपीता
पपीता लीवर की बीमारियो के लिए सबसे सुरक्षित प्राकृतिक उपचार में से एक है। विशेष रूप से लिवर सिरोसिस के लिए। हर रोज दो चमच पपीता के रूस मे आधा चमच नींबू का रूस मिलकर पिए। इस बीमारी से पूरी तरह से निजात पाने के लिए एस मिक्स का सेवन तीन से चार हफ़्तो के लिए करें।
8. पालक और गाजर का रस
पालक और गाजर का रस का संयुक्त यकृत सिरोसिस के लिए काफ़ी लाभदायक घरेलू उपाय है। पालक का रस और गाजर के रस को बराबर भाग में मिलाकर पियें। लिवर की निर्माण के लिए इस प्राकृतिक रस को रोजाना कम से कम एक बार ज़रूर पिए।
9. चुकंदर का रस
चुकंदर के रस को पीने से लिवर की गंदगी साफ होती है और लिवर दोबारा सही ढंग से काम करने लगता है।
10. व्यायाम
इन सबके अलावा आप व्यायाम के माध्यम से भी लिवर के फैट को कम कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपनी दिनचर्या के साथ-साथ जीवनशैली में भी कुछ परिवर्तन करने होंगे। साथ ही ख्याल रखें की अचानक से अधिक व्यायाम न करें, पहले कम प्रभाव वाले व्यायाम से शुरुआत करें और धीरे-धीरे व्यायाम की गति बढ़ाएं।
घर की सफाई पर उचित ध्यान न देना।
दूषित माँस खाना, गंदा पानी पीना,
मिर्च मसालेदार और चटपटे खाने का अधिक सेवन करना।
पीने वाले पानी में क्लोरीन की मात्रा का अधिक होना।
लिवर खराब होने के लक्षण
लिवर वाली जगह पर दबाने से दर्द होना।
छाती में जलन और भारीपन होना.
भूख न लगने की समस्या, पेट में गैस का बनना।
शरीर में आलसपन और कमजोरी का होना।
लिवर खराब होने के लक्षण
लिवर वाली जगह पर दबाने से दर्द होना।
छाती में जलन और भारीपन होना.
भूख न लगने की समस्या, पेट में गैस का बनना।
शरीर में आलसपन और कमजोरी का होना।
लीवर को स्वस्थ और सही रखने के घरेलू उपाय
1. अलसी के बीज
1. अलसी के बीज
अलसी बीज हार्मोन को ब्लड में घूमने से रोकता है और लिवर के तनाव को कम करता है। सलाद में या अनाज के साथ आलसी के बीज को पीसकर इस्तेमाल करने से लिवर के रोगो को दूर रखने में मदद मिलती है।
2. हल्दी का उपयोग
हल्दी लिवर के स्वस्थ्य में सुधार करने के लिए बेस्ट उपयोगी होती है। इसमें एंटी-सेप्टिक गुण मौजूद होते है, और एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करती है। हल्दी की रोग निरोधक क्षमता हपेटिस ब और सी का कारण बनाने वाले वाइरस को बढ़ने से रोकती है। इसलिए हल्दी को अपने खाने मे शामिल करें या रात को सोने से पहले एक गिलास दूध मे थोड़ी हल्दी मिलकर पिए।
हल्दी लिवर के स्वस्थ्य में सुधार करने के लिए बेस्ट उपयोगी होती है। इसमें एंटी-सेप्टिक गुण मौजूद होते है, और एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करती है। हल्दी की रोग निरोधक क्षमता हपेटिस ब और सी का कारण बनाने वाले वाइरस को बढ़ने से रोकती है। इसलिए हल्दी को अपने खाने मे शामिल करें या रात को सोने से पहले एक गिलास दूध मे थोड़ी हल्दी मिलकर पिए।
3. खुली हवा मे गहरी साँसे
सुबह उठकर खुली हवा मे गहरी साँसे लें। सवेरे उठकर कुच्छ कदम पैदल चले और चलते-चलते ही खुली हवा की गहरी साँसे लें इससे आपको बहुत फायदा मिलेगा।
4. सेब का सिरका का सेवन
सेब का सिरका, लिवर मे मौजूद विषैले पदार्थो को बाहर निकालने में सहायता करता है। भोजन से पहले सेब के सिरके को पीने से शरीर की चर्बी घटती है। सेब को आप कई तरीके से इस्तेमाल कर सकते है एक गिलास पानी मे एक चमच सेब का सिरका मिलाए। या इस मिश्रण मे एक चमच शहद मिलाए। इस मिश्रण को दिन मे 2 से 3 बार लें।
5. आंवला का सेवन
आवंला विटामिन सी के सबसे बढ़िया स्रोत है और इसका सेवन लिवर की कार्यक्षमता को बनाए रखने में मदद करता है। एक शोध ने साबित किया है कि आवंला में लिवर को सुरक्षित रखने वाले सभी तत्व होते है। लिवर के स्वस्थ्य के लिए आपको दिन मे 4-5 कच्चे आवले खाने चाहिए।
6. मुलेठी का सेवन
लिवर की बीमारियो के इलाज के लिए मुलेठी का इस्तेमाल कई आयुर्वेदिन औषधि में किया जाता है। इसके इस्तेमाल के लिए मुलेठी की जड़ का पाउडर बनाकर इसे उबलते पानी में डालें। फिर ठंडा होने पर छान लें। इस पानी को दिन में एक या दो बार पिए।
7. लीवर को स्वस्थ रखने के लिए खाएं पपीता
पपीता लीवर की बीमारियो के लिए सबसे सुरक्षित प्राकृतिक उपचार में से एक है। विशेष रूप से लिवर सिरोसिस के लिए। हर रोज दो चमच पपीता के रूस मे आधा चमच नींबू का रूस मिलकर पिए। इस बीमारी से पूरी तरह से निजात पाने के लिए एस मिक्स का सेवन तीन से चार हफ़्तो के लिए करें।
8. पालक और गाजर का रस
पालक और गाजर का रस का संयुक्त यकृत सिरोसिस के लिए काफ़ी लाभदायक घरेलू उपाय है। पालक का रस और गाजर के रस को बराबर भाग में मिलाकर पियें। लिवर की निर्माण के लिए इस प्राकृतिक रस को रोजाना कम से कम एक बार ज़रूर पिए।
9. चुकंदर का रस
चुकंदर के रस को पीने से लिवर की गंदगी साफ होती है और लिवर दोबारा सही ढंग से काम करने लगता है।
10. व्यायाम
इन सबके अलावा आप व्यायाम के माध्यम से भी लिवर के फैट को कम कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपनी दिनचर्या के साथ-साथ जीवनशैली में भी कुछ परिवर्तन करने होंगे। साथ ही ख्याल रखें की अचानक से अधिक व्यायाम न करें, पहले कम प्रभाव वाले व्यायाम से शुरुआत करें और धीरे-धीरे व्यायाम की गति बढ़ाएं।
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